Thursday, 1 December 2011

ग़म का बोझ


ग़म  का  बोझ उठा कर रख |
मन का बाग सजा कर रख ||

घर  में  दीप  जला कर रख |
दिल में प्यार बसा कर रख ||

बीमारी   है    अगर   कोई |
सब के बीच बता कर रख || 

कल की फ़िक्र नहीं तुझको |
कुछ तो यार बचा कर रख || 

कान्धा   चार   जाने   दे  दें |
इतना  नाम कमा कर रख || 

ये   सरकार     नहीं   जागी |
सच का शोर मचा कर रख || 

सुन  कर  लोग  हँसेंगे  सब |
दिल का दर्द छुपा कर रख ||

जब तक पेश चले तब तक |
सब  से बात बना कर रख || 

डा०  सुरेन्द्र  सैनी  

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