टीस जब दिल में उठे कोई ग़ज़ल कह लेना |
आग सीने में लगे कोई ग़ज़ल कह लेना ||
प्यार बांटों सदा नफ़रत से क्या मिला भाई |
घर किसी का जो बसे कोई ग़ज़ल कह लेना ||
देख कर जिसकी आँखों में सुकूँ मिलता हो |
एसा रस्ते में मिले कोई ग़ज़ल कह लेना ||
तीरगी को मिटाने जब खुला परचम लेकर |
हौसलामंद चले कोई ग़ज़ल कह लेना ||
ज़िंदगी में किसी की आँख को रोशन करिये |
जब दुआ उसकी फले कोई ग़ज़ल कह लेना ||
लाख गुलचीं हो मगर अपनी हरी डाली पर |
फूल इतरा के खिले कोई ग़ज़ल कह लेना ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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