Monday, 12 December 2011

दुनिया इक चिड़िया


दुनिया इक चिड़िया घर  है |
सबको  फँसने  का  डर  है ||

बारिश  में  भीगे   है  सर |
नीली   छतरी  सर पर है ||

अफ़सर बन कर भूला वो |
माँ  का  टूटा  सा   घर  है ||

ट्यूशन  पढ के  बच्चे  का |
फिर  क्यूँ  ज़ीरो  नंबर  है ?

मुश्किल  में  सारे  हुक्काम |
इक  बूढ़ा  अनशन   पर  है ||

इस बिगड़ी हुई हालत   की |
ज़िम्मेदारी    सब   पर   है ||

रहता    है    जो     पोशीदा |
वो    कैसा   ताक़तवर   है ?

झगड़ा    दो   परिवारों  का |
बस  खिड़की   के  ऊपर है ||

मेअद:  क्यूँ  होगा  गड़बड़ ?
जब   आटे   में   चोकर  है ||

क़र्ज़े     में    है    सर   डूबा  |
फिर  भी  ये   आडम्बर   है ||

पनघट गुम पनिहारिन गुम |
ख़ाली    ख़ाली    गागर    है ||

डा०  सुरेन्द्र  सैनी 

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