दुनिया इक चिड़िया घर है |
सबको फँसने का डर है ||
बारिश में भीगे है सर |
नीली छतरी सर पर है ||
अफ़सर बन कर भूला वो |
माँ का टूटा सा घर है ||
ट्यूशन पढ के बच्चे का |
फिर क्यूँ ज़ीरो नंबर है ?
मुश्किल में सारे हुक्काम |
इक बूढ़ा अनशन पर है ||
इस बिगड़ी हुई हालत की |
ज़िम्मेदारी सब पर है ||
रहता है जो पोशीदा |
वो कैसा ताक़तवर है ?
झगड़ा दो परिवारों का |
बस खिड़की के ऊपर है ||
मेअद: क्यूँ होगा गड़बड़ ?
जब आटे में चोकर है ||
क़र्ज़े में है सर डूबा |
फिर भी ये आडम्बर है ||
पनघट गुम पनिहारिन गुम |
ख़ाली ख़ाली गागर है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी